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महाकाव्य और खंडकाव्य की परिभाषा भेद और उदाहरण
महाकाव्य ऐसी रचना को कहा जाता है जिसमें इतिहास पुराण की प्रसिद्ध कथावस्तु का समावेश होता है। इसमें मुख्य रूप से ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुषों के संपूर्ण जीवन कथा का वर्णन किया जाता है। महाकाव्य में किसी महापुरुष के जीवन का संपूर्ण चित्रण व्यापक रूप से किया जाता है। महाकाव्य की रचना में इतिहास की प्रसिद्ध कथाएं शामिल होती हैं एवं इसका नायक उदात्त एवं महान चरित्र धारण करने वाला व्यक्ति होता है। महाकाव्य में मुख्य रूप से वीर रस, शृंगार रस एवं शांत रस में से किसी एक रस की प्रधानता होती है जिसमें शेष रस गौण होते हैं। महाकाव्य की कथा में हृदय को भाव-विभोर करने वाले मार्मिक प्रसंगों का उपयोग किया जाता है।
महाकाव्य का शाब्दिक अर्थ महान काव्य होता है, अर्थात यह एक ऐसा काव्य होता है जिसमें कथावस्तु, देशकाल, नायकत्व, वातावरण एवं भाषा शैली की प्रधानता होती है। अग्निपुराण के अनुसार महाकाव्य वह काव्य होता है जिसमें मुख्य रूप से सर्गों का बंधन होता है। आधुनिक युग में महाकाल की पुरानी धारणा में काफी परिवर्तन देखा गया है। प्राचीन काल में महाकाव्य की रचना इतिहास के प्रसिद्ध महापुरुषों की जीवनी के आधार पर की जाती थी परंतु आधुनिक युग में महाकाव्य की रचना मानव जीवन की किसी महत्वपूर्ण घटना या समस्या के आधार पर की जाती है। आधुनिक युग के महाकाव्य में महान पुरुषों के स्थान पर समाज के किसी भी व्यक्ति का वर्णन किया जा सकता है।
महाकाव्य की विशेषताएं
1-इसमें 8 या अधिक सर्ग होने चाहिए।
2-अनेक शब्दों का प्रयोग होना चाहिए।
3-प्रधान रस शांत, वीर, श्रृंगार रस का होना चाहिए।
4-अन्य रसों का प्रयोग समय अनुसार करना चाहिए।
5-यात्रा वर्णन प्रकृति वर्णन नगर वर्णन होना चाहिए।
6-प्रारंभ में देवी देवता की आराधना होनी चाहिए।
7-नायक धीरे दत्त होना चाहिए।
8-शैली उदात्त होनी चाहिए।
9-कथावस्तु को क्रमबद्ध का सूत्त्रात्मक होनी चाहिए।
महाकाव्य के प्रमुख तत्व
महाकाल के प्रमुख तत्व कुछ इस प्रकार हैं:-
कथानक
महाकाव्य का कथानक ऐतिहासिक या किसी महापुरुष के जीवन से संबंधित होता है। महाकाव्य में आयाम विस्तृत होता है जिसके अंतर्गत उसमें विभिन्न उपाख्यानों का समावेश संभव हो सके। एक महाकाव्य में अपनी सीमाओं का विस्तार करने की क्षमता होती है। महाकाव्य का कथानक शुद्ध ऐतिहासिक यथार्थ से भिन्न होता है। इसमें इतिहास में घटित अनेकों घटनाओं का समावेश होता है जिससे इस महाकाव्य की गरिमा में और अधिक वृद्धि होती है। इसके अलावा महाकाव्य का विस्तार अनियंत्रित रूप से किया जाता है।
नायक
एक महाकाव्य में नायक का स्थान सदृश क्षत्रिय या देवी-देवता को दिया जाता है जिसका चरित्र अति गुणवान होता है। महाकाव्य का नायक अत्यंत गंभीर, धर्म प्रिय, महासत्त्व, स्थिर चरित्र एवं दृणव्रत चरित्र का होता है। महाकाव्य में नायक की एक अहम भूमिका होती है।
विस्तार
महाकाव्य में अनिवार्य रूप से नायक के जीवन का विभिन्न चरणों में विस्तार या वर्णन किया जाता है। यह विस्तार प्राकृतिक, राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्रों से संबंधित होता है। इसमें मुख्य रूप से मानव जीवन का संपूर्ण चित्रण करके उसके संपूर्ण वैभव का विस्तार किया जाता है।
रस
महाकाव्य में शृंगार रस, वीर रस, करुण रस एवं शांत रस में से किसी एक रस की अहम भूमिका होती है। इसमें अन्य रस की भूमिका अलग-अलग अंगों में विभाजित होती है।
विन्यास
महाकाव्य की रचना ऐतिहासिक कथाओं से संबंधित होती है जो मानव के हृदय को भाव विभोर करती है। इसमें कथानक को नाटकीय रूप से दर्शाने का प्रयास किया जाता है।
भाषा शैली
महाकाव्य की भाषा शैली जनसामान्य की बोलचाल की भाषा से भिन्न होती है। भारत में संस्कृत एवं अन्य भाषाओं में अनेकों महाकाव्य की रचना की गई है। इसमें मुख्य रूप से छंद की लय गरिमामयी होती है। इसके अलावा महाकाव्य में उन्नत शैली का भी प्रयोग किया जाता है।
उद्देश्य
इतिहास के प्रसिद्ध आचार्यों के अनुसार महाकाव्य का उद्देश्य धर्म, कार्य, अर्थ एवं मोक्ष की प्राप्ति करना होता है। महाकाव्य सुदृण होता है अर्थात उसकी प्रवृत्ति महादेव एवं सत्य की ओर अग्रसर होती है।
महाकाव्य के उदाहरण
प्राचीन काल से ही महाकाव्यों की रचना भारतीय इतिहास का एक अहम हिस्सा रही है। संस्कृत के प्रमुख महाकाव्य महाभारत (वेद व्यास), रामायण (वाल्मीकि), कुमारसंभव (कालिदास), किरातार्जुनीयम् (भारवि), रघुवंश (कालिदास), नैषधीय चरित (श्रीहर्ष), शिशुपाल वध (माघ) आदि को माना जाता है।
हिंदी भाषा के प्रमुख महाकाव्य पद्मावत (जायसी), पृथ्वीराज रासो (चंद बरदाई), रामचंद्रिका (केशवदास), रामचरितमानस (तुलसीदास), साकेत (मैथिलीशरण गुप्त), दैत्य वंश (हरदयाल सिंह), आर्यावर्त (मोहनलाल महतो) आदि को माना जाता है।
प्राकृत एवं अपभ्रंश के प्रमुख महाकाव्य लीलाबाई (लीलावती), कंस वही (कंस वध), रावण वही (रावण वध), महापुराण आदि को माना जाता है।
खंडकाव्य की परिभाषा
खंडकाव्य के साहित्य में प्रबंध कब का एक रूप है जीवन की किसी घटना विशेष को लेकर लिखा गया काव्य खंडकाव्य है। खंडकाव्य शब्द से स्पष्ट होता है कि इसमें मानव जीवन की किसी एक ही घटना की प्रधानता रहती है जिसमें चरित्र नायक का जीवन संपूर्ण रूप में कभी को प्रभावित नहीं करता है।
खंड काव्य की विशेषताएं
1-खंडकाव्य जीवन की किसी एक घटना या मार्मिक अंश का चित्रण होता है।
2-घटना के माध्यम में किसी आदर्श की अभिव्यक्ति होती है।
3-इसका नायक प्रसिद्ध होता है।
4- संपूर्ण रचना एक ही क्षण में होती है।
5-इसका प्रधान रस शांत या वीर रस होता है।
खंडकाव्य के प्रमुख तत्व
महाकाव्य की तरह ही खंडकाव्य के भी सात प्रमुख तत्व माने जाते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-
1. कथानक
2. संवाद
3. देशकाल
4. रस या भाव व्यंजना
5. पात्र या चरित्र चित्रण
6. शैली
7. उद्देश्य
कथानक
खंडकाव्य में कथानक की सबसे अहम भूमिका मानी जाती है। इसमें एक कवि मुख्य रूप से किसी व्यक्ति की एक ही घटना को केंद्र बनाकर खंड काव्य की रचना करता है। इसमें कवि यह प्रयत्न करता है कि वह कथा को सीमित करके उसे स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करें। खंडकाव्य में जीवन के किसी एक पक्ष की झलक की व्याख्या की जाती है। खंडकाव्य के कथानक में संधियों की योजना अनिवार्य नहीं मानी जाती। इसमें वस्तु का वर्णन संक्षिप्त या छोटा होता है। किसी काव्य खंड का कथानक इतिहास से संबंधित होता है।
संवाद
एक खंडकाव्य में कथा को चरम सीमा तक पहुंचाने के लिए उसमें नाटकीय एवं रोचकता का समावेश किया जाता है। इसमें एक कवि मार्मिक एवं तर्कपूर्ण संवादों की योजना तैयार करता है।
देशकाल
खंडकाव्य में देश काल की स्पष्टता के दृष्टिकोण से घटना एवं पात्रों से संबंधित स्थान या कला का चित्रण अनिवार्य रूप से होता है। इसमें कवि देशकाल का व्यापक चित्रण नहीं करता परंतु वह अपनी रचना में देशकाल का विशेष ध्यान रखता है। वह अपनी रचना के माध्यम से समाज को बेहद प्रभावित भी करता है। खंडकाव्य की रचना के माध्यम से कवि अपने युग की विचारधारा का पूर्णतः पालन करता है।
रस या भाव व्यंजना
खंडकाव्य में किसी एक ही रस की प्रधानता होती है क्योंकि यह जीवन के किसी एक ही घटना या प्रसंग से संबंधित होता है। इसमें अन्य रस की भी उपस्थिति होती है परंतु कोई भी रहस्य पूर्ण परिपालक नहीं होता है। खंडकाव्य में किसी उदात्त भाव को चरम सौंदर्य के रूप प्रस्तुत किया जाता है। आधुनिक खंडकाव्य में जिन भावों को व्यक्त किया जाता है वह भाव जनमानस के विकास के अंतर्गत आती हैं।
पात्र या चरित्र चित्रण
खंडकाव्य का नायक या प्रमुख पात्र महापुरुष, स्त्री, पुरुष, धीर प्रशांत, धीरोदात्त आदि में से कोई भी हो सकता है। इसमें लघु स्वरूप के कारण पात्रों की संख्या सीमित मात्रा में होती है। इसमें मुख्य रूप से सभी पात्र किसी ना किसी पृष्ठभूमि का निर्वाहन करते हुए सामयिक जनजीवन के किसी वर्ग की अभिव्यंजना करते हैं। आधुनिक खंडकाव्य में प्रतीकात्मक उपस्थिति अधिक मात्रा में दिखाई पड़ती है। खंडकाव्य पूर्ण रूप से स्वतंत्र भाव से पात्र का चरित्र चित्रण करता है। इसके अलावा खंडकाव्य में कवि अपनी काव्य कला के माध्यम से पात्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करता है।
शैली
खंडकाव्य की रचना शैली उदात्त एवं गरिमामयी होती है क्योंकि इसमें किसी व्यक्ति के जीवन की किसी विशेष घटना का ही चित्रण किया जाता है। इसमें नायक के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं की अनुभूति कराई जाती है।
उद्देश्य
खंडकाव्य में कवि का मुख्य उद्देश्य किसी घटना, प्रसंग या किसी सामाजिक समस्या का चित्रण करना होता है। इसमें कवि जीवन के किसी विशेष पहलू की व्याख्या करता है। केवल इतना ही नहीं खंडकाव्य में सामयिक उपदेश का चित्रण भी किया जाता है।
खंडकाव्य की विशेषताएं
खंडकाव्य की प्रमुख विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-
खंडकाव्य की संपूर्ण रचना एक ही छंद में पूर्ण की जाती है।
खंडकाव्य में मुख्य रूप से किसी महापुरुष के जीवन की घटना के माध्यम से उसके आदर्शों की अभिव्यक्ति की जाती है।
खंडकाव्य में शांत रस या वीर रस की प्रधानता होती है।
खंडकाव्य के कथानक का नायक सुप्रसिद्ध होता है।
खंडकाव्य की भाषा शैली सरल एवं प्रवाहपूर्ण होती है।
खंडकाव्य व्यक्ति के जीवन की विशेष घटनाओं की पूर्ण रचना मानी जाती है।
खंडकाव्य के उदाहरण
पंचवटी, नहुष, जयद्रथ वध, मिलन, पथिक, सुदामा चरित्र, गंगावतरण, जय हनुमान, हल्दीघाटी आदि खंडकाव्य के प्रमुख उदाहरण है।
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर
महाकाव्य में नायक नायिका के जीवन का संगोपांग चित्रण होता है।खंडकाव्य में नायक नायिका के जीवन की एक घटना का चित्रण होता है।
महाकाव्य का कलेवर विस्तृत होता है खंड काव्य का कलेवर सीमित होता है।
महाकाव्य में अनेक छंदो का प्रयोग होता है। खंडकाव्य में एक छंद का प्रयोग होता है।
महाकाव्य में पात्रों की संख्या अधिक होती है। खंडकाव्य में पात्रों की संख्या सीमित होती है।
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