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महाराणा प्रताप जयंती : इतिहास | Maharana Pratap Jayanti : Life History
महाराणा प्रताप जयंती को भारत में हर साल 9 मई को मनाया जाता है। उनका जन्म 9 मई, 1540 को कुम्भलगढ़, मेवाड़ राजस्थान में हुआ था। राजपूत राजघराने में जन्म लेने वाले प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े पुत्र थे। वे एक महान पराक्रमी और युद्ध रणनीति कौशल में दक्ष थे। महाराणा प्रताप ने मुगलों के बार-बार हुए हमलों से मेवाड़ की रक्षा की। उन्होंने अपनी आन, बान और शान के लिए कभी समझौता नहीं किया। हर साल देशभर में महाराणा प्रताप की जयंती धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाई जाती है। इस साल महाराणा प्रताप की 484वीं जयंती मनाई जाएगी। यह त्योहार उनके जीवन को समर्पित है, जो अपनी वीरता, साहस और संघर्ष के लिए जाने जाते हैं। महाराणा प्रताप अपने समय के एक शक्तिशाली राजा थे, जिनका जीवन और लड़ाई उनकी वीरता की गाथा के रूप में याद की जाती है। महाराणा प्रताप की अनंत कहानियां इतिहास के पन्नों पर अंकित है।
उन्होंने अपने पिता, महाराणा उदय सिंह के शासन के दौरान मेवाड़ को मुगल साम्राज्य के खिलाफ खड़ा किया। महाराणा प्रताप का जीवन एक लड़ाई और संघर्ष से भरा रहा है। महाराणा प्रताप की लड़ाई अपने समय के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण थी, जब मुगल साम्राज्य का सत्ताधारी अकबर था। अकबर ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया और उनका लक्ष्य था कि वह पूरे भारत को अपने अधीन कर ले। इस उद्देश्य के लिए, उसने मेवाड़ को भी अपने अधीन करने का प्रयास किया। हल्दीघाटी की लड़ाई की में महाराणा प्रताप और उनकी सेना ने अपने साहस का प्रदर्शन किया। 30 सालों तक लगातार कोशिश के बाद भी अकबर उन्हें बंदी नहीं बना सका।
हल्दीघाटी में कौन जीता?
हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप ने जीता था। महाराणा ने छापामार युद्ध अख्तियार किया। अंत में अकबर की फ़ौज वापस लौटी। हल्दीघाटी के युद्ध के इतिहास को फिर से लिखने की कोशिशें बहुत पहले ही शुरू हो चुकी हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय और बोर्ड के पाठ्यपुस्तकों में इस तरह के कुछ संशोधन हो चुके हैं या फिर महाराणा की हार इंगित करने वाले हिस्से को हटा दिया गया है। ‘आइन-ए-अकबरी’ जैसे ग्रंथ अकबर के दरबारी इतिहासकारों, अबुल-फज्ल इब्न मुबारक और अब्द अल-कादिर बदायूंनी ने लिखे हैं। जाहिर हैं कि, बादशाह जो चाहे वही उनमें लिखा गया होगा। इन ग्रंथों की बातों को कभी क्रॉसचेक नहीं किया गया। हल्दी घाटी युद्ध में अकबर (Akbar) के 85 हजार वाली विशाल सेना का सामना महाराणा प्रताप ने अपने 20 हजार सैनिकों से किया बुरी तरह से जख्मी होने के बाद भी महाराणा प्रताप अकबर के हाथ नहीं आए। इस तरह से महाराणा प्रताप ने अपने कौशल और युद्ध कला का परिचय दिया। उदयपुर के इतिहासकार डॉ. चंद्रशेखर शर्मा ने पहली बार यह सिद्धांत पेश किया कि ‘महाराना प्रताप हारे नहीं, जीते हैं। अकबर की हार हुई है।
महाराणा प्रताप की जीवनी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान है। उनकी वीरता, साहस और संघर्ष की कहानी हमें आदर्शों का संदेश देती है, और हमें याद दिलाती है कि धर्म और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई जारी रखना कितना महत्वपूर्ण है। उनकी वीरता और साहस को सलाम!
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
फीका पड़ता था तेज सूरज का,
जब माथा ऊंचा तू करता था,
फीकी हुई बिजली की चमक,
जब-जब आंख खोली प्रताप ने.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
वीरता की गाथा है, मेवाड़ की धरती, जहां जन्मे थे प्रताप, वीर पुरुष महान. हल्दीघाटी में जंग, जिसका इतिहास गौरवमय, मुगलों से लड़े, हार नहीं मानी कभी.
धन्य हुआ रे राजस्थान,
जो जन्म लिया यहां प्रताप ने,
धन्य हुआ रे सारा मेवाड़,
जहां कदम रखे थे प्रताप ने.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
वीर योद्धा महाराणा प्रताप, जिनकी वीरता है अथाह. चेतक घोड़ा रहा साथी, लड़े मिलकर युद्ध का मैदान.
हर मां की ये ख्वाहिश है,
कि एक प्रताप वो भी पैदा करे,
देख के उसकी शक्ति को,
हर दुशमन उससे डरा करे.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
स्वाभिमान की रक्षा, धर्म की रक्षा, हर पल रहा उनका ध्यान. वीरता और शौर्य की प्रतिमा, महाराणा प्रताप का नाम.
जंग खाई तलवार से युद्ध नहीं लड़े जाते,
लंगड़े घोड़े पर दांव लगाए नहीं जाते,
यूं तो लाखों वीर हुए होंगे लेकिन,
सब महाराणा प्रताप नहीं होते.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
आज जयंती है वीर की, आओ मिलकर करें नमन. उनके आदर्शों पर चलें, बनें हम भी सच्चे देशभक्त.
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