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HINDI DIWAS KAVITA : हिन्दी दिवस पर कविताएँ

SARITA CHAUHAN HINDI DIWAS SPECIAL KAVITA
हिंदी की अनुगूंज
मन के भावों को पढ़ती।
मेरे हृदय के तारों में सजती।
तुझसे मेरी बातें करती।
कुछ मेरी व्यथा को खुद सहती।
सौत पराई आई है।
दुनिया के दिल में छाई है।
हिंदी मुझसे इतना कहती।
बन सखी - सहेली सी रहती।
कहती वो–
मैं हूं तेरी भावों की संचारिका।
आत्माभिव्यक्ति की अदम्यता।
डाली- डाली में मैं सजाती।
अक्षर -अक्षर मिलकर कहती।
तू मुझको गले लगाओगी।
अपनी पहचान बनाओगी।
मैं ही हूं तेरी प्रीत सहेली।
करती रहती तुझसे अठखेली।
तेरी रागिनी में मैं ही बजती।
अधरों पर तेरी मैं सजाती।
मुझको तू ना छोड़ सखी।
मुझसे तू नाता जोड़ सखी।
नूपुर के रुनझुन से जो आवाज निकलती
मेरे हृदय की बिह्वलता बन कहती।
तेरे मन की अभिलाषा हूं ।
मैं ही तेरी हिंदी भाषा हूं।
तू जो चाहे मुझसे कह ले।
हिंदी हूं मैं तुझसे पहले।
वह बस मुझसे इतना कहती।
बन सखी- सहेली सी रहती।
मुझसे कहती तू भी सुन ले।
अपनी भी बातें इससे कर ले।
आखिर वो मेरी सहेली है।
तेरी मेरी हमजोली है।
यही तो अपनी हिंदी है।
_हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा हो
कितना अच्छा होता कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा होती।
बन जाए अगर हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा
खिल उठे मन की कली
पूरी हो मन की अभिलाषा।
कितना अच्छा होता।
सुंदर विचित्र और मनोरम अपनी यह हिंदी ।
कि जैसे देवलोक से आई परियों संग करती अठखेली।
प्रकृति के विविध रंगों में सजी कि जैसे लाल हरा गुलाबी नीला ए
पीला नारंगी भूरा सुनहरा और धानी चुनर ।
कोयल की सुमधुर कंठ में हिंदी सजती।
मां सरस्वती के वीणा में बजती ।
कितना अच्छा होता कि अगर हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा होती।
संविधान के पन्नों में एक अनुच्छेद में रख दिया गया है हिंदी को।
सिर्फ एक दिवस मनाई जाती है ।
अपनों से ठुकराई जाती है।
हम कहां याद रखते हैं कि-
बच्चों के मुख से निकली पहली ध्वनि मां है हिंदी ।
मां की ममता और पिता का दुलार।
सखियों संग प्रीत का संसार ।
जो जीवन में भर देता मधुमास।
प्रत्येक मन की आशा ।
अतृप्त हृदय की अभिलाषा ।
वेदना का स्वर इसमें ।
भावना का राग इसमें
मनुज का विस्तार इसमें ।
है अपरिमित और असीमित यह शब्द साधना।
आओ करें हम इसमें आराधना।
विश्व फलक पर इसे ले जाएं
हिंदी को जन-जन तक पहुंचाएं।
भारत माता की यह बिंदी ।
सबके होठों पर हो हिंदी।
सजा लो अपने रागों में,मुखरित करो इसे अपने स्वर में
अपने निजपन में निज अपने जीवन में।
हृदय तारिका में और मृदुल कंठ में ।
मत भूलो यह हिंदी हिंद देश की भाषा है।
प्रत्येक जन के मन की एक सुंदर अभिलाषा है।
प्रत्येक वहि्न में उजागर होती और समा जाती।
डूबती उतराती हृदय तरंगों में हमें उस पार ले जाती।
जहां है एक सुंदर सा प्यारा हिंद देश।
जो देता दुनिया को मानवता का संदेश।
कितना अच्छा होता की हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा होती।
NITESH GADHWAL HINDI DIWAS SPECIAL KAVITA
हिन्दी हो प्यार की भाषा, जन-जन का विश्वास,
माँ की ममता गूँज रही , संस्कृति का प्रकाश।
हिन्दी हो वीरों की वाणी, गाथा बने खास,
रण में गूँजे देशभक्ति , अमर रहे सुवास।
हिन्दी हो ज्ञान की गंगा, जिसमें छिपे उल्लास,
विद्या की हर राह यही , देती नया आभास।
हिन्दी हो एकता का धागा, जोड़े सब उल्लास,
भारत माँ की आन यही , जग में परम विकास।
हिन्दी हो श्रम का साथी, कर्मठता का रास,
किसानों के खेतों में दिखती, इसकी मीठी आस।
हिन्दी हो नन्हें सपनों की, मधुर-प्यारी प्यास,
बच्चों के होंठों पर खिलती, माँ की मीठी आस।
हिन्दी हो भाईचारे की, प्रेम भरी सुवास,
सबको जोड़े साथ यही , मिटा दे हर त्रास।
हिन्दी हो जीवन का आधार, सच्चा उपहास,
जिसके बिन सूना लगता है, जग का हर इतिहास।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |