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SEJAL AGRAHARI KI KAVITA

शीर्षक:- एक बदलाव
दिन ये माणिक लुटा रहा
रात ये मोती लुटा रही
चल कल से आज की तरफ यहां जो भी पाया
वो भी नश्वर जो खोया वो भी नश्वर
जब प्राकृति ने भी बनाया नियम परिवर्तन का।।
तो तू क्यूं रुकना चाहता यहां
क्या नहीं बदलती ठंड की सिहरन
क्या नहीं बदलती गर्माहट
या नहीं बदलती ऋतुएं
उठ जाग, तू खुद को पहचान
हे मानव तू भी है ,परिवर्तन की निशानी
हर सवेरा है, परिवर्तन की नई कहानी
हम भी लिखे परिवर्तन के पन्नो पर
एक अक्षर परिवर्तन का।
सेजल अग्रहरि, प्रतापगढ़
मेरा नाम सेजल अग्रहरि है मैं प्रतापगढ़ से हु
वर्तमान में मैं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के वसन्त महिला महाविद्यालय स्नातक से हिंदी विषय में अध्ययनरत हूं।