हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। यहां पर बबीता जी की कविता प्रकाशित किया जाएगा। आप सभी इसका आनंद लीजियेगा।
BABITA KI KAVITA

शीर्षक:- तुझे सोचते ही जाना है!
विषय : ख्वाबों का आसमान
सोचती हूं तुझे तो मैं बस सोचती चली जाती हूं
अपने दिल दिमाग को काबू में ना रख पाती हूं
जिंदगी है चार दिन की तीन तो गुजर गई
बाकी की एक मैं तेरे साथ गुजारना चाहती हूं
ख्वाहिश नहीं है, ज़िद मेरी गर तू पूरी कर सके
तेरे कदमों से कदम मिलाकर मैं अब चलना चाहती हूँ
फरिश्ता नहीं हूं कोई, मैं बस अदना सी इंसान हूं
शरीफों की इस बस्ती में कुछ बगावत करना चाहती हूं
आसमान के तले बादलों पर मैं ख्वाब सजाना चाहती हूं
बन बारिश तुझ पर मैं बरस जाना चाहती हूं
सूरज की तेज़ रोशनी मुझको जला नहीं पाएगी
तू हाथ में हाथ थाम मेरा कोई शै मुझे झुका नहीं पाएगी
चल तू भी कुछ अब मन की गुजारिश पूरी कर ले
तपते हुए बदन पर बारिश की ठंडी बौछार कर ले
और देख, राहें कितनी भी मुश्किल हो हरपल मैं तेरे साथ हूं
रहेगा तेरा जो भी फैसला मैं तेरे हर फैसले के साथ हूँ….!
बबिता
रामनगर
वाराणसी
मेरा नाम बबीता है और मैं दिल्ली से हूं, फिलहाल मैं बनारस में रह रही हूं… मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और Bca किया है, बनारस से मैंने (M. A. hindi lit. gold medalist), B. Ed, M. Ed(education) से आगे की शिक्षा ग्रहण की है…अभी phd के लिए नेट दे रही हूँ…