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Sharad Purnima : शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं
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आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं और शरद पूर्णिमा इस बार 16 अक्टूबर को मनाई जा रही है। शरद पूर्णिमा को कोजागिरी भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा साल की सभी 12 पूर्णिमा तिथियों में सबसे महत्वपूर्ण होती है और इस रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर रखा जाता है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
इसी दिन द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में महारास किया था और इससे प्रसन्न होकर चंद्रमा ने अमृत वर्षा की थी। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं। यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल जाता है। मान्यता है कि इस दिन धन के देवी मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं। मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव पर उनकी प्रिय खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने से उसमें अमृत वर्षा होती है और अगले दिन सुबह इस खीर को खाने से न सिर्फ आपको सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है, बल्कि खीर के चमत्कारिक प्रभाव से आपके कई रोग दूर हो जाते हैं।
शरद पूर्णिमा को कोजागरा क्यों कहा जाता है
बिहार और पश्चिम बंगाल में कोजागरा व्रत मनाया जाता है। कोजागरा का अर्थ होता है‘कौन जाग रहा है’। इस दिन लोग रात को जागकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि जो इस रात जागता है, मां लक्ष्मी उसके घर समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। कोजागरा व्रत की रात में मां लक्ष्मी की पूजा के बाद मखाने और बताशे का प्रसाद बांटा जाता है। रात लोग कौड़ी भी खेलते हैं। माना जाता है कि कौड़ी समुद्र से उत्पन्न होती है और देवी लक्ष्मी को बहुत प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में कौड़ी भी अर्पित की जाती हैं।
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की ठंडी चांदनी के साथ आसमान से अमृत बरसता है। इसलिए लोग इस दिन खीर बनाकर उसे रात भर चांदनी में रखते हैं। साथ ही, लोग मिट्टी के घड़े या बर्तन में पानी भरकर छत पर रखते हैं और अगले दिन इस पानी से नहाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शरद पूर्णिमा की खीर को खाने के फायदे
शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी में रखी खीर खाने के कई फायदे बताए जाते हैं। यह खीर कई रोगों से मुक्ति दिला सकती है, खासकर चर्म रोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इसके अलावा, यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मददगार मानी जाती है। यह खीर वाणी के दोषों को दूर करती है।
प्रसाद के रूप में यह खीर खाने से आपको कभी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा और मां लक्ष्मी का हाथ आपके सिर पर बना रहेगा। इसके अलावा इस दिन दीपक जलाने से जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इन्हीं सभी वजहों से शरद पूर्णिमा के पर्व को मनाया जाता है।
शरद पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर (Sharad Purnima 2024 Date) को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय शाम को 05 बजकर 05 मिनट पर होगा।
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