VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA
VARUN SINGH GAUTAM KI KAVITA शीर्षक:- बरखा आई घूम – घूम के बरखा आई बूँद – बूँद के करते मृदङ्गबढ़ – बढ़ आँगन के चढ़ते – उतरते बहिरङ्गसङ्गिनी चली बयार की लीन्ही सतरङ्गजल – थल मिलन मिली छूअन हर्षित अनुषङ्गओढ़ घूँघट के दामिनी स्वर में झूम – झूमआती क्षितिज से घूमड़ – घूमड़ घूम – …