कवित्त
कवित्त By- VARUN SINGH GAUTAM एक बात हैहृदयों मेंचाहों मेंपर कैसे कहूं ?मैं खुद-ब-खुदअसमंजसबरकरार इसतलक तकयाद नहींबेकसूर थेहम कभीया अभी-अभी…..!अंतर्द्वंद्व हैईच्छा भीपर पूछूं क्या ?किससे और कहाँकैसे या क्योंकिसके या परन्तुकिसके लिए न….हाँ हाँ हाँ हाँ हाँहैं कौनयाद नहींपर बात हैकसर-सीहै किन्तुरहस्यमयी औरअश्रुपूर्ण ये तलकगहराईयों के तह तक। S. NO. VARUN SINGH GAUTAM 1 एक …