हमारी वेबसाइट “Science ka Mahakumbh” में आपका स्वागत है। हिंदी के प्रश्नों का एक सेट यहां दैनिक आधार पर प्रकाशित किया जाएगा। यहां पोस्ट किए गए प्रश्न विभिन्न आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे एसएससी, रेलवे (एनटीपीसी), बैंकिंग, सभी राज्य परीक्षाओं, यूपीएससी, आदि) में सहायक होंगे।
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विराम चिह्न की परिभाषा भेद और उदाहरण
विराम का अर्थ है – ‘रुकना’ या ‘ठहरना’ । वाक्य को लिखते अथवा बोलते समय बीच में कहीं थोड़ा-बहुत रुकना पड़ता है। जिससे भाषा स्पष्ट, अर्थवान एवं भावपूर्ण हो जाती है। लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिह्नों का प्रयोग करते हैं। इन्हें ही विराम-चिह्न कहा जाता है।
विराम चिह्न के भेद
हिन्दी में निम्न विराम चिह्न प्रयुक्त होते हैं:-
अल्प विराम ,
अर्द्ध विराम ;
अपूर्ण विराम :
पूर्ण विराम ।
प्रश्न सूचक चिह्न ?
सम्बोधन चिह्न !
विस्मय सूचक चिह्न !
अवतरण चिह्न/उद्धरण चिह्न/उपरिविराम –
(i) इकहरा ‘ ’ (ii) दुहरा ‘‘ ’’
योजक चिह्न/समासचिह्न –
निदेशक ——-
विवरण चिह्न :——
हंसपद/विस्मरण चिह्न ˆ
संक्षेपण/लाघव चिह्न 0
तुल्यता सूचक/समता सूचक =
कोष्ठक ( ) { } [ ]
लोप चिह्न …….
इतिश्री/समाप्ति सूचक चिह्न -0- — —
विकल्प चिह्न /
पुनरुक्ति चिह्न ’’ ’’
संकेत चिह्न *
अल्पविराम ( , )
(i) वाक्य के भीतर एक ही प्रकार के शब्दों को अलग करने में।
(ii) वाक्य के उपवाक्यों को अलग करने में।
(iii) दो उपवाक्यों के बीच संयोजक का प्रयोग न किये जाने पर।
(iv) वाक्य के मध्य क्रिया विशेषण या विशेषण उपवाक्य आने पर।
(v) उद्धरण चिह्न के पूर्व भी।
(vi) समय सूचक शब्दों को अलग करने में ।
(vii) कभी कभी सम्बोधन के बाद इसका प्रयोग होता है।
(viii) समानाधिकरण शब्दों के बीच में।
(ix) हाँ, के पश्चात्।
(x) पत्र में अभिवादन, समापन के साथ
उदाहरण
राम ने अमरुद, केले आदि खरीदे।
हवा चली, पानी बरसा और ओले गिरे।
राम ने सोचा, अच्छा हुआ जो मैं नहीं गया।
यह बात, यदि सच पूछो तो, मैं भूल ही गया था।
उसने कहा, ‘‘मैं तुम्हें नहीं जानता।’’
कल गुरुवार, दि. 20 मार्च से परीक्षाएँ प्रारम्भ होंगी।
राधे, तुम आज भी विद्यालय नहीं गयीं।
विदेहराज की पुत्री वैदेही, राम की पत्नी थी।
हाँ, तुम अन्दर आ सकते हो।
पूज्य पिताजी, भवदीय,
अर्द्ध विराम ( ; )
(i) वाक्य के ऐसे उपवाक्यों को अलग करने मे जिनके भीतर अल्प विराम या अल्प विरामों का प्रयोग हुआ है।
(ii) जब एक ही प्रधान उपवाक्य पर अनेक आश्रित उपवाक्य हों।
(iii) मिश्र तथा संयुक्त वाक्य में विपरीत अर्थ प्रकट करने या विरोध पूर्ण कथन प्रकट करने वालों उपवाक्यों के बीच में।
(iv) विभिन्न उपवाक्यों पर अधिक जोर देने के लिए
उदाहरण
‘ध्रुवस्वामिनी’ में एक ओर ध्रुवस्वामिनी, मन्दाकिनी, कोमा आदि स्त्री पात्र हैं; दूसरी ओर रामगुप्त, चन्द्रगुप्त, शिखरस्वामी आदि पुरुष पात्र हैं।
सूर्योदय हुआ; अन्धकार दूर हुआ; पक्षी चहचहाने लगे और मैं प्रातः भ्रमण को चल पड़ा।
जो पेड़ों को पत्थर मारते हैं; वे उन्हें फल देते हैं।
मेहनत ही जीवन है; आलस्य ही मृत्यु।
अपूर्ण विराम ( : )
समानाधिकरण उपवाक्यों के बीच जब कोई संयोजक चिह्न न हो।
उदाहरण
परमाणु विस्फोट : मानव जाति का भविष्य
पूर्ण विराम ( । )
(i) साधारण, मिश्र या संयुक्त वाक्य की समाप्ति पर।
(ii) अप्रत्यक्ष प्रश्नवाचक वाक्य के अन्त में पूर्ण विराम ही लगता है।
(iii) काव्य में दोहा, सोरठा, चैपाई के चरणों के अन्त में।
उदाहरण
यदि राम पढ़ता, तो अवश्य उत्तीर्ण होता।
उसने बताया नहीं कि वह कहाँ जा रहा है।
रघुकुल रीति सदा चलि आई।प्राण जाय पर वचन न जाई
प्रश्न सूचक चिह्न ( ? )
(i) प्रश्न सूचक वाक्यों के अन्त में।
(ii) एक ही वाक्य में कई प्रश्नवाचक उपवाक्य हों और सभी एक ही प्रधान उपवाक्य पर आश्रित हों, तब प्रत्येक उपवाक्य के अन्त में अल्पविराम का प्रयोग करने के बाद सबसे अंत में।
उदाहरण
उसकी पुस्तक किसने ली ?
गोविंद क्या करता है, कहाँ जाता है, कहाँ रहता है, यह तुम क्यों जानने के इच्छुक हो ?
सम्बोधक चिह्न ( ! )
जब किसी को पुकारा या बुलाया जाय।
उदाहरण
मोहन ! इधर आओ।
विस्मय सूचक चिह्न ( ! )
हर्ष, शोक, घृणा, भय, विस्मय आदि भावों के सूचक शब्दों या वाक्यों के अंत में-
उदाहरण
अरे ! तुम प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गये।
अवतरण चिह्न ‘‘ ’’
जब किसी के कथन को ज्यों का त्यों उद्धृत किया जाता है तो उस कथन के दोनों ओर इसका प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे उद्धरण चिह्न या उपरिविराम भी कहते हैं। अवतरण चिह्न दो प्रकार का होता है –
(i) इकहरा ‘ ’
जब किसी कवि का उपनाम, पुस्तक का नाम, पत्र पत्रिका का नाम,लेख या कविता का शीर्षक आदि का उल्लेख करना हो। उदाहरण
रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ओज के कवि हैं।
‘राम चरित मानस’ के रचयिता तुलसीदास हैं।
(ii) दोहरा ‘‘ ’’
वाक्यांश को उद्धृत करते समय। महावीर ने कहा, ‘‘अहिंसा परमोधर्मः।’’
योजक चिह्न (-)
(i) दो शब्दों को जोड़ने के लिए तथा द्वन्द्व एवं तत्पुरुष समास में।
(ii) पुनरुक्त शब्दों के बीच में।
(iii) तुलनावाचक सा, सी, से के पहले।
(iv) अक्षरों में लिखी जाने वाली संख्याओं और उनके अंशों के बीच
उदाहरण
पात-पात, डाल-डाल, धीरे-धीरे,
सुख-दुख, माता-पिता, प्रेम-सागर
भरत-सा भाई, यशोदा-सी माता
एक – तिहाई, एक – चैथाई।
निर्देशक (———-)
(i) नाटकों के संवादों में
(ii) जब परस्पर सम्बद्ध या समान कोटि की कई एक वस्तुओं का निर्देश किया जाय।
(iii) जब कोई बात अचानक अधूरी छोड़ दी जाय।
(iv) जब वाक्य के भीतर कोई वाक्य लाया जाय –
उदाहरण
मनसा-बेटी, यदि तू जानती
मणिमाला -क्या ?
काल तीन प्रकार के होते हैं – भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यत्काल।
यदि आज पिताजी जीवित होते—- पर अब
महामना मदनमोहन मालवीय-ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे-भारत की महान्विभूति थे।
विवरण चिह्न (:—)
जब किसी कही हुई बात को स्पष्ट करने या उसका विवरण प्रस्तुत करने के लिए वाक्यके अन्त में इसका प्रयोग होता है।
उदाहरण
पुरुषार्थ चार हैं:- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।
निम्न शब्दों की व्याख्या कीजिए:- सर्वनाम, विशेषण।
हंस पद – (ˆ)
इसे विस्मरण चिह्न भी कहते हैं। अतः लिखते समय यदि कुछ लिखने में रह जाता है तब इस चिह्न का प्रयोग कर उसके ऊपर उस शब्द या वाक्यांश को लिख दिया जाता है।
उदाहरण
मुझे आज जाना है।
कानपुर
मुझे आज ˆ जाना है।
संक्षेपण चिह्न 0
इसे लाघव चिह्न भी कहते हैं। किसी बड़े शब्द को संक्षिप्त रूप में लिखने हेतु आद्य अक्षर के आगे इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण
संयुक्त राष्ट्र संघ सं. रा. सं.
मोहनदास कर्मचन्द गाँधी मो. क. गाँधी
डॅाक्टर राजेश डॅा. राजेश
तुल्यता या समता सूचक चिह्न =
किसी शब्द के समान अर्थ बतलाने, समान मूल्य या मान का बोध कराने हेतु इस चिह्न काप्रयोग किया जाता है।
उदाहरण
1 रुपया = 100 पैसे
कोष्ठक: ( ), { }, [ ]
(i) वाक्य में प्रयुक्त किसी पद का अर्थ स्पष्ट करने हेतु मुँह की उपमा मयंक (चन्द्रमा) से दी जाती है।
(ii) नाटक में पात्र के अभिनय के भावों को प्रकट करने के लिए।
कोमा – (खिन्न होकर) मैं क्या न करूँ ? (ठहर कर) किन्तु नहीं, मुझे विवाद करने का अधिकार नहीं।
लोप चिह्न ……….
लिखते समय लेखक कुछ अंश छोड़ देता है तो उस छोड़े हुए अंश के स्थान पर xxxया ……… लगा देता है।
उदाहरण
‘‘तुम्हारा सब काम करूँगा।……. बोलो, बड़ी माँ……. तुम गाँव छोड़कर चली तो नहीं जाओगी ? बोलो………।।’’
इतिश्री/समाप्ति चिह्न —0– — —
किसी अध्याय या ग्रंथ की समाप्ति पर इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
विकल्प चिह्न /
जब दो में से किसी एक को चुनने का विकल्प हो।
उदाहरण
शुद्ध वर्तनी वाला शब्द है कवयित्री/कवियत्री या दोनों शब्द
पुनरुक्ति चिह्न ,, ,,
जब ऊपर लिखी किसी बात को ज्यों का त्यों नीचे लिखना हो तो उसके नीचे पुनः वही न लिखकर इस चिह्न का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण
श्री सोहनलाल श्री गोविन्द लाल
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